हाइलाइट


शंकर जयंती समरोह 27 दिसंबर 2019 के अवसर पर माननीय मंत्री एचआरडी श्री रमेश पोखरियाल से प्राप्त संदेश।
माननीय मंत्री एचआरडी, श्री रमेश पोखरियाल से संदेश का ट्रांसक्रिप्ट
“ शंकर स्मृति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित डॉ शंकर दयाल सिंह जी की जयंती समारोह 2019 के अवसर पर मैं सभी लोगों का अभिनन्दन करता हूँ और आयोजकों का विशेष करके धन्यवाद देना चाहता हूँ कि शंकर दयाल
सिंह जी की पत्रकारिता से लेकर संसद तक की बहुत ही रोचक और धार्मिक यात्रा रही है। वो वैचारिक रहे हैं, प्रवक्ता रहे हैं, वे अच्छे नेता रहे हैं और श्रेष्ठ पत्रकार रहे है।
उनका जमीन से जुड़कर के आसमान तक छूने की आज जो उनका विज़न था, सोचना था कि जो मन के अंदर प्रेम, स्वार्थ, सहजता व सरलता आज भी उनके उन विचारों की उनके विज़न की समाज को जरुरत है।
वे हमेशा इसी विचार के रहे हैं कि विचारों की स्वतन्त्रा होनी चाहिए और समाचारों की स्वतन्त्रा के साथ विचारों की स्वतन्त्रा और समाचारों की निष्पक्षता और दूसरा व्यूज पर न्यूज़ नहीं थोपा जाना चाहिए और न्यूज़ पर व्यूज नहीं थोपा जाना चाहिए दोनों अलग-अलग होना चाहिए।
मैं समझता हूँ कि जिन्होंने भी उनके लेख को पढ़ा होगा, वे समझ सकते हैं कि उनका हर विषय पर गूढ़ पकड़ थी और आज इस समय में भी उनके लेख और उनके विचार निश्चित रूप से नए पीढ़ी को प्रेरित करते हैं और वे देश की एकता, अखंडता, सहजता, समानता और सबको एक साथ लेकर चलने का, सबका विकास करने का, सबका समान रूप से आगे बढ़ने का जो उनका मानस था, वो निश्चित रूप में हमारे देश को प्रेरित करते हैं। मैं आयोजकों को बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ और आज जो लोग सम्मानित हो रहे हैं उन सभी सम्मनित होने वाले लोगों को मैं बहुत सारी बधाई देना चाहता हूँ कि वे शंकर दयाल सिंह जी के मूल्यों पर जीवन मुल्य से संबंधित उनके आदर्श पर आगे बढ़ेंगे और गौरव दिलायेंगे मेरे देश को।
मैं रश्मि सिंह जी को भी अनुरोध करता हूँ कि जिस गति से वे शंकर दयाल जी के विचारों को उनके पुत्री के रूप में उनका पोषण कर रही हैं, उनको आगे बढ़ा रही हैं मुझे भरोसा हैं कि वो इस मिशन को हमेशा जिन्दा रखेंगी और शंकर दयाल सिंह जी के बातों से विचारों से समाज को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। एक बार फिर से मैं आप सब को बधाई देना चाहता हूँ। मुझे इस कार्यक्रम में रहना था मैं आदरणीय विनय सहस्त्रबुद्धे जी को भी धन्यवाद् देना चाहता हूँ और जितने भी यहाँ लेखक हैं, साहित्यकार हैं, जितने भी समाज सेवी हैं और जितने भी विचारक यहाँ आये हैं मैं उन सभी भाईओं और बहनों का अभिनन्दन करना चाहता हूँ और क्योकि मैं मध्यप्रदेश से लौट नहीं पाया, इस कारण के लिए क्षमा चाहता हूँ कि सम्भव नहीं हो पाया।
मैं आप सभी के प्रति आभरी हूँ और एक बार फिर अपने हृदय की गहराई से आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ। आयोजकों का भी अभिनन्दन करना चाहता हूँ।
धन्यवाद ”